इतिहास का दो देशो का सबसे बरा युद्ध है जो 2022 से 2025 तक चल रहा है और इतना छोटा देश भी टिका हुआ है विस्वा के सबसे बरे देस के सामने अभी तक टिका हुआ है |ऊर्जा संकट, वैश्विक मुद्रास्फीति, और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान ने दुनिया भर में आम इंसान की जिंदगी को प्रभावित किया है। इस बीच एक नई उम्मीद तब जगी जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एलान किया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की जल्दी ही एक मीटिंग के लिए मिलने वाले हैं जिसमें सीजफायर यानी युद्ध को रोकने के प्रयास किए जाएंगे। ये घोषणा सिर्फ एक खबर नहीं बल्कि एक ऐसी संभावना है जो इस पुराने और खतरनाक युद्ध को खत्म करने की दिशा में एक पहला बड़ा कदम साबित हो सकता है।
ट्रम्प की घोषणा और वैश्विक प्रतिक्रिया
ट्रंप का ये बयान तूरंत दुनिया भर में हेडलाइंस बन गया। अमेरिका, यूरोप, एशिया सब जगह पर ये सवाल उठने लगे कि क्या सच है पुतिन और ज़ेलेंस्की एक टेबल पर बैठ कर शांति की बात करेंगे। अब तक काफी बार शांति वार्ता के प्रयास किए गए हैं लेकिन हर बार या तो विश्वास की कमी के कारण या फिर युद्ध के मैदान पर स्थिति के बिगडने के चलते ये वार्ता अधूरी रह गई। ट्रम्प ने कहा कि उनके पास ऐसी रणनीति है जो दोनों नेताओं को एक साथ ला सकती है और ये उनका व्यक्तिगत मिशन है कि युद्ध का अंत हो। क्या घोषणा पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं, कुछ ने इसे एक राजनीतिक स्टंट कहा है तो कुछ ने इसे एक वास्तविक प्रयास माना है जो वैश्विक स्थिरता के लिए जरूरी है।
पुतिन और ज़ेलेंस्की के बीच की दूरियाँ
ये सब जानते हैं कि पुतिन और ज़ेलेंस्की के बीच की दूरी सिर्फ राजनीति नहीं बल्की व्यक्तित्व स्टार तक पहुंच चुकी है। यूक्रेन पर रूस के हमले ने ना सिर्फ हर दिन हजारों लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया है बल्कि हर घर में दुख और नुक्सान लाया है। ज़ेलेंस्की अपने लोगों के लिए एक हीरो बन कर उभरे हैं जो हर फोरम पर खड़े होके कहते हैं कि यूक्रेन अपना एक इंच ज़मीन भी नहीं छोड़ेगा। वही पुतिन अपने रुख पर मजबूर हैं कि उनका ऑपरेशन एक जरूरी कदम है और वो अपनी शर्तों के बिना युद्ध खत्म नहीं करेंगे। डोनो के बीच की ये वैचारिक और राजनीतिक लड़ाई ही शांति वार्ता के रास्ते में सबसे बड़ी रुकावत बनी हुई थी। लेकिन अगर ट्रंप के साथ एक बैठक होती है तो हो सकता है कि पहली बार दोनों एक व्यावहारिक समाधान की तरफ बढ़ें।
सीजफायर का मतलब और उसके असर
अगर सच में ये बैठक होती है और उसका परिनाम एक युद्धविराम समझौते के रूप में निकलता है तो इसका मतलब ये होगा कि युद्ध के मैदान पर तूरंत गोलीबारी बंद हो जाएगी। इसे ना सिर्फ सैनिक बाल्की आम नागरिक की जान भी बचेगी जो अब तक इस संघर्ष का सबसे बड़ा नुक्सान उठते आये हैं। युद्धविराम का मतलब होता है एक अस्थायी शांति जहां दोनों तरफ से लड़ाई रुक जाती है ताकि एक अंतिम शांति समझौते की तरफ बढ़ा जा सके। अगर पुतिन और ज़ेलेंस्की इस पर सहमत होते हैं तो ये ना सिर्फ यूरोप के लिए एक राहत होगी बल्कि गरीब दुनिया के लिए एक आर्थिक और मानवतावादी जीत होगी। खाद्यान्न निर्यात जो अभी बंद है वो दोबारा शुरू हो सकता है, तेल और गैस आपूर्ति पर दबाव है वो काम हो सकता है और शरणार्थियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाना हो सकता है।
ट्रम्प की भूमिका और राजनीतिक कोण
क्या गरीब विकास में सबसे दिलचस्प एंगल ट्रंप का है। क्योंकि वो अभी अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं हैं लेकिन फिर भी उनका ये कदम वैश्विक मंच पर उनकी प्रासंगिकता को दिखाता है। ट्रंप अपने आप को हमेशा एक डीलमेकर के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जो कठिन परिस्थितियों में भी डील क्रैक कर सकते हैं। उनका ये कदम उनकी आगामी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को भी समर्थन देता है क्योंकि अगर वो सच में पुतिन और ज़ेलेंस्की को एक टेबल पर बैठाकर शांति वार्ता करवाते हैं तो उनकी वैश्विक छवि एक मजबूत नेता के रूप में दोबारा बन जाएगी। क्या आलोचकों के कारण यह एक राजनीतिक कदम बोल रहे हैं, जबकी समर्थकों के लिए यह एक मानवीय प्रयास है।
वैश्विक समुदाय की उम्मीद
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अब बैठक कर रहा है, लेकर उम्मीद और अनिश्चितता दोनों में है। संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और नाटो जैसे संगठन इसका समर्थन करते हैं क्योंकि उनके लिए ये युद्ध एक सुरक्षा खतरा बन चुका है। लेकिन साथ ही उन्हें ये भी डर है कि ये सिर्फ एक प्रतीकात्मक कदम पर रोक न लगा सके। पिछले अनुभवों को देखते हुए विशेषज्ञ कहते हैं कि युद्धविराम की घोषणा करना आसान है लेकिन उसे जमीन पर लागू करना बहुत मुश्किल है। अगर पुतिन और ज़ेलेंस्की एक बार फिर अपने-अपने प्रयासों पर अटक गए तो ये प्रयास भी बेकार हो गए।
आर्मी के संकट का अंत
क्या वॉर ने सबसे ज्यादा नुक्सान आम लोगों को दिया है। लाखों लोग अपने घर छोड़ कर शरणार्थियों के रूप में रह रहे हैं, बच्चे अपने स्कूलों से दूर हैं और हर दिन किसी न किसी परिवार का एक दुखद ख़तम हो रहा है। अगर युद्धविराम होता है तो सबसे पहले राहत इसी मानवीय संकट को मिलेगी। शरणार्थी अपने घर लौटेंगे, पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो सकती है और बच्चों का बचपन दोबारा सामान्य हो सकता है। अस्पतालों, स्कूलों और बुनियादी ढांचे को दोबारा पुनर्निर्माण करना शुरू होगा। ये शायद सबसे बड़ी उपलब्धि होगी अगर ट्रम्प की घोषणा सच में हकीकत में बदल जाती है।
निष्कर्ष
ट्रम्प की ये घोषणा है कि पुतिन और ज़ेलेंस्की जल्दी ही शांति बात करने के लिए मिलने वाले हैं, एक ऐसी खबर है जो पूरी दुनिया के लिए उम्मीद की किरण लेकर आई है। युद्ध को ख़तम करना आसान नहीं होगा क्योंकि दोनों तरफ अपने हित और मांगें हैं, लेकिन अगर एक युद्धविराम होता है तो ये एक मजबूत नींव होगी अंतिम शांति के लिए। क्या बैठक से दुनिया को ये भी सीख मिलती है कि संवाद और बातचीत ही हर संघर्ष का असली समाधान है। पुतिन और ज़ेलेंस्की की मुलाकात अगर सफल होती तो ये सिर्फ यूरोप के लिए नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए एक नई शांति की शुरुआत होगी।