Startup या Scam? 🤯 सुहेल सेठ ने खोल दी पोल!/80% स्टार्टअप्स सिर्फ दिखावा हैं!” — सुहेल सेठ का ब्लास्टिंग बयान

 

सुहेल सेठ का स्टार्टअप्स पर तीखा हमला: “80% स्टार्टअप्स केवल एक धोखा हैं”

Suhel Seth

प्रस्तावना

भारत आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन चुका है। हर महीने दर्जनों नए स्टार्टअप्स लॉन्च होते हैं और करोड़ों की फंडिंग की खबरें सामने आती हैं। लेकिन इसी चमकते हुए चेहरे के पीछे का एक कड़वा सच हाल ही में सुहेल सेठ ने उजागर किया है। उन्होंने भारतीय स्टार्टअप्स को लेकर ऐसा बयान दिया है जिसने पूरे बिज़नेस जगत में तूफान ला दिया है।

यह ब्लॉग उसी बयान, उससे उपजे विवाद, पक्ष-विपक्ष की प्रतिक्रियाओं और भारतीय स्टार्टअप संस्कृति की हकीकत को विस्तार से कवर करता है।

सुहेल सेठ कौन हैं?

सुहेल सेठ एक जाने-माने ब्रांड विशेषज्ञ, लेखक, कॉलमनिस्ट और पब्लिक स्पीकर हैं। वे लंबे समय से भारत के कारपोरेट और मीडिया जगत में सक्रिय हैं। उनकी बेबाक राय और खुलकर बोलने की शैली उन्हें अक्सर विवादों में भी ला देती है।

उन्होंने टाटा, कोका-कोला और कई बड़ी कंपनियों के लिए ब्रांडिंग का काम किया है। लेकिन इस बार उनकी आलोचना का निशाना बने हैं भारत के युवा स्टार्टअप उद्यमी।

सुहेल सेठ का विवादित बयान

“भारत में 80% स्टार्टअप्स केवल एक दिखावा हैं। इनमें से ज़्यादातर संस्थापक सिर्फ निवेशकों के पैसों पर ऐश कर रहे हैं — महंगी गाड़ियाँ, आलीशान बंगले और विदेश यात्राएँ — जबकि उनके बिजनेस में असली वैल्यू नहीं है।”

उनका ये बयान केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के हालिया बयान से मेल खाता है, जिसमें उन्होंने भी भारतीय स्टार्टअप्स की आलोचना करते हुए कहा था कि अधिकांश स्टार्टअप्स केवल कॉपी-पेस्ट मॉडल चला रहे हैं, इनोवेशन नहीं कर रहे।

प्रमुख आरोप

  • नकली वैल्यू क्रिएशन: अधिकतर स्टार्टअप्स वास्तविक समस्या का समाधान नहीं कर रहे।
  • लाइफस्टाइल फंडिंग: संस्थापक निवेशकों के पैसे को निजी जीवनशैली सुधारने में लगा रहे हैं।
  • नकलची मॉडल: भारत में फेसबुक, अमेज़न, गूगल जैसी वैश्विक कंपनियाँ क्यों नहीं बनतीं?
  • दूसरे दौर की फंडिंग के लिए ड्रामा: वास्तविक मुनाफे के बजाय “valuation” की होड़।

देखें यह वीडियो:

🎥 भारत में 80% स्टार्टअप्स केवल एक धोखा: सुहेल सेठ

संजीव बिकचंदानी ने दिया करारा जवाब

Sanjeev Bikhchandani

Info Edge (Naukri.com) के संस्थापक संजीव बिकचंदानी ने सुहेल सेठ के आरोपों का विरोध किया और कहा:

“स्टार्टअप्स असफल हो सकते हैं, लेकिन ये युवा उद्यमियों का अपमान नहीं होना चाहिए। ये लोग नौकरी मांगने वाले नहीं, नौकरी देने वाले हैं। इन्हें गालियाँ नहीं, सम्मान मिलना चाहिए।”

क्या सुहेल सेठ की बातों में सच्चाई है?

✅ सही बिंदु:

  • कई स्टार्टअप्स केवल निवेश पर आधारित हैं, खुद का रेवेन्यू मॉडल मजबूत नहीं है।
  • मर्सिडीज, विदेशी ट्रिप्स, महंगे ऑफिस — कई संस्थापक पैसा गलत दिशा में लगाते हैं।
  • नवाचार की बजाय मौजूदा वैश्विक मॉडलों की नकल होती है।

❌ गलत बिंदु:

  • कई स्टार्टअप्स जैसे Zerodha, Zoho, Freshworks ने बिना ज्यादा फंडिंग के शानदार काम किया है।
  • ऐसे बयानों से नए एंटरप्रेन्योर्स का मनोबल गिर सकता है।

सोशल मीडिया पर मचा बवाल

🟢 समर्थन में:

  • “किसी ने तो सच्चाई बोली। भारत में स्टार्टअप्स बस ‘फंडिंग पाने का जरिया’ बन गए हैं।”
  • “फाउंडर लोग 5 करोड़ का नुकसान दिखा कर 50 करोड़ की फंडिंग ले रहे हैं।”

🔴 विरोध में:

  • “सुहेल सेठ जैसे लोग युवाओं को डिमोटिवेट कर रहे हैं।”
  • “इनोवेशन रातों-रात नहीं होता। कुछ तो समय दो इन नए विचारों को।”

सुहेल सेठ के Instagram पोस्ट्स की झलक

📸 सुहेल सेठ का एक प्रेरणादायक पोस्ट

📸 कॉरपोरेट ब्रांडिंग पर उनकी राय

📸 भारत और इनोवेशन पर बात

भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम की वर्तमान स्थिति

  • भारत में 1 लाख से अधिक स्टार्टअप्स रजिस्टर्ड हैं।
  • अब तक 100+ यूनिकॉर्न बन चुके हैं।
  • Startup India Mission के तहत टैक्स में राहत, फंडिंग और मेंटरशिप की व्यवस्था है।

चुनौतियाँ:

  • फंडिंग ड्राई हो जाना
  • क्वालिटी टैलेंट की कमी
  • प्रॉफिटेबिलिटी न आना
  • कॉरपोरेट गवर्नेंस के मुद्दे

आगे का रास्ता क्या है?

  • सख्त फाइनेंशियल मॉनिटरिंग हो
  • क्वालिटी इनोवेशन को बढ़ावा दिया जाए
  • मीडिया को फंडिंग से ज़्यादा प्रोडक्ट पर ध्यान देना चाहिए
  • युवा संस्थापकों को मेंटरशिप और नैतिक नेतृत्व सिखाना चाहिए

निष्कर्ष

Suhel Seth

सुहेल सेठ एक विवादास्पद परंतु प्रभावशाली वक्ता हैं। उन्होंने जो मुद्दे उठाए, वो जरूरी हैं, लेकिन उनकी प्रस्तुति ने युवाओं में नाराज़गी भी पैदा की। भारत में स्टार्टअप्स की चमक के पीछे की हकीकत से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन सभी को दोषी ठहराना भी सही नहीं।

यह वक्त है जब हमें आत्ममंथन करना चाहिए — क्या हम असली इनोवेशन कर रहे हैं या सिर्फ निवेशकों को प्रभावित करने के लिए कहानी गढ़ रहे हैं?

आपका क्या मानना है?

क्या सुहेल सेठ सही कह रहे हैं या उन्होंने सीमा लांघ दी है? अपने विचार कमेंट में जरूर बताएं! Are 80% of Startups Actually Scam or Legitimate? Share your thoughts in the comments below!

 

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