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5G to 6G Transition – टेलीकॉम दिग्गज अगली लहर के लिए कैसे कर रहे हैं तैयारी

5G to 6G transition concept showing telecom towers and futuristic network graphics

आज हम जिस दुनिया में जी रहे हैं, उसका हर कोई डिजिटली कनेक्टेड है – 5जी ने हमारे फोन, गैजेट्स और स्मार्ट डिवाइसेज को एक अल्ट्रा-फास्ट दुनिया से कनेक्ट कर दिया है।  लेकिन सोचिए अगर 5जी के बाद एक और क्रांति आए, जो सिर्फ स्पीड नहीं बल्कि टेक्नोलॉजी का पूरा फाउंडेशन बदल दे।  जी हां, यहीं होने जा रहा है 6जी के साथ।  अभी जब 5G का रोलआउट कई देशों में हुआ है, तब भी दुनिया की शीर्ष टेलीकॉम कंपनियों ने अगला पड़ाव – 6G – के लिए प्लानिंग और रिसर्च शुरू कर दी है।  ये एक रेस है जिसमें सिर्फ स्पीड नहीं, विजन और तैयारी भी मायने रखती है।

टेलीकॉम दिग्गज जैसे कि सैमसंग, नोकिया, हुआवेई, एटीएंडटी और क्वालकॉम जैसे खिलाड़ी आक्रामक रूप से 6जी के विकास में लग गए हैं।  हर कंपनी चाहती है कि जब 6G आधिकारिक तौर पर लॉन्च हो तो वो लीडर पोजीशन में हो।  क्या रेस में सिर्फ टेक्नोलॉजी की उन्नति नहीं हो रही है, रणनीतिक साझेदारी, अनुसंधान अनुदान, सरकारी सहयोग और अरबों डॉलर के अनुसंधान एवं विकास निवेश भी हो रहे हैं।  कंपनियों अब इस बात को समझ चुकी है कि 6जी का भविष्य नहीं, बहुत निकट भविष्य है – जिसकी हर चीज और ज्यादा कनेक्टेड, और ज्यादा इंटेलिजेंट होगी।

6जी का विजन: सिर्फ स्पीड नहीं, स्मार्टनेस भी

6जी का मतलब सिर्फ एक और जेनरेशन जंप नहीं है, ये एक पूरा बदलाव है जो डिजिटल दुनिया के कामकाज को बदलने वाला है।  जहां 5G ने कम विलंबता और तेज़ इंटरनेट का दरवाज़ा खोला, वहीं 6G में विलंबता को कम करके लगभग वास्तविक समय संचार संभव बनाया जाएगा।  ऐसी दुनिया जहां आप किसी को सिर्फ वीडियो कॉल नहीं बल्कि एक होलोग्राम के माध्यम से सामने देख सकते हैं।  ये प्रौद्योगिकी, उपग्रह-आधारित इंटरनेट को ग्राउंड-आधारित बुनियादी ढांचे के साथ-साथ मर्ज करेगी, जिसे दुनिया के दूरदराज के इलाकों से भी पूरी तरह से जोड़ा जाएगा।

6G नेटवर्क AI-नेटिव होंगे – मतलब ये खुद-ब-खुद मैनेज होंगे, ऑप्टिमाइज़ करेंगे और एरर डिटेक्ट करके अपने आप सॉल्यूशंस भी लाएंगे।  हर सिग्नल स्मार्ट होगा, हर डिवाइस एक डिजिटल ऑर्गेनिज्म की तरह काम करेगा।  स्वायत्त वाहन, स्मार्ट शहर, एआई-संचालित रोबोट – सबको जो बैकबोन टेक्नोलॉजी चाहिए, वो 6जी देने वाला है।  अब ये सब कल्पना नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर विकास हो चुका है रोडमैप बन चुका है।

कैसे तयारी कर रहे हैं बड़े टेलीकॉम प्लेयर्स

जब बात प्रौद्योगिकी के तीव्र विकास की होती है तो अनुसंधान सबसे पहला कदम होता है।  इसमें साउथ कोरिया की सैमसंग और एलजी सबसे आगे हैं।  अनहोन टेराहर्ट्ज़ फ़्रीक्वेंसी बैंड पर काम करना शुरू कर दिया है जहां एक सेकंड में 1 टेराबिट डेटा ट्रांसफर हो सकेगा।  जर्मनी और कोरिया के बीच तकनीकी साझेदारी हो चुकी है जिसमें उच्च आवृत्ति सिग्नल को लंबी दूरी तक प्रसारित करने के सफल प्रयोग किए गए हैं।  एलजी ने अपने 6जी ट्रांसमिशन टेस्ट में 100 मीटर तक सिग्नल भेजकर एक मील का पत्थर हासिल भी कर लिया है।

चीन भी 6जी रेस में पीछे नहीं है।  वहां की सरकार ने पहले ही 6जी सैटेलाइट लॉन्च कर दिया है जिसका उद्देश्य ऊपरी वातावरण आधारित इंटरनेट सिस्टम का परीक्षण करना है।  हुआवेई ने इस क्षेत्र में भारी निवेश किया है और अपनी आर एंड डी टीमों को क्वांटम संचार और एआई-एकीकृत नेटवर्क पर काम करवा रहा है।  चीन के पास अब सरकार समर्थित 6जी विजन है जिसका 2030 तक विश्वव्यापी नेतृत्व का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

यूएसए में क्वालकॉम और एटीएंडटी जैसी कंपनियां नेशनल साइंस फाउंडेशन के साथ मिलकर 6जी प्रौद्योगिकियों पर फोकस कर रही हैं।  इनका ज्यादा फोकस एआई-आधारित गतिशील स्पेक्ट्रम आवंटन और सुरक्षित, सैन्य-ग्रेड संचार प्रणालियों पर है।  क्वालकॉम ने 6जी मॉडेम प्रोटोटाइप का परीक्षण चरण पहले ही शुरू कर दिया है, जो पहनने योग्य तकनीक और वास्तविक समय एआर/वीआर अनुप्रयोगों के लिए अनुकूलित है।

नोकिया भी ग्लोबल 6जी एलायंस का हिस्सा बन चुका है।  फिनलैंड में एक बड़ा 6जी रिसर्च सेंटर सेटअप किया गया है जिसका नाम है “6जी फ्लैगशिप।”  ये सेंटर पूरे यूरोप के शोधकर्ताओं के लिए एक ओपन लैब बन गया है जहां उन्हें 6जी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर सिस्टम पर काम करने की आजादी मिल रही है।

चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं

जितनी बड़ी 6जी की संभावनाएं हैं, उतनी ही बड़ी चुनौतियों की सूची भी है।  टेराहर्ट्ज़ फ्रीक्वेंसी तरंगों को स्थिर बनाना और उसका बुनियादी ढांचा विकसित करना आसान काम नहीं है।  इसके लिए नये एंटेना, नये अर्धचालक, और नये उपग्रह बनाना पड़ेंगे।  एक और चुनौती है सुरक्षा – क्योंकि जब पूरा नेटवर्क एआई-आधारित हो तो साइबर हमले और डेटा उल्लंघनों का जोखिम भी उतना ही अधिक होता है।  इसलीये कंपनियाँ समानांतर सुरक्षा वास्तुकला पे भी काफी काम कर रही हैं।

एक और बड़ी दिक्कत है वैश्विक समन्वय।  हर देश अपने 6जी मानकों पर काम कर रहा है, लेकिन अगर मानकों में अंतरराष्ट्रीय संरेखण नहीं हुआ तो प्रौद्योगिकी का लाभ सीमित हो जाएगा।  इसली टेलीकॉम कंपनियां संयुक्त राष्ट्र-स्तरीय निकाय जैसे इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (आईटीयू) के साथ मिलके एक कॉमन फ्रेमवर्क बनाने की कोशिश कर रही हैं।

भविष्य क्या कहता है?

अब से 4-5 साल बाद जब 6जी पूरी तरह से कमर्शियल लॉन्च होगा तो दुनिया में टेक्नोलॉजी का एक नया युग शुरू होगा।  स्वास्थ्य सेवा से लेके शिक्षा तक, रक्षा से लेके कृषि तक – सब कुछ बदल जाएगा।  छात्र वास्तविक समय में 3डी व्याख्यान ले पाएंगे, सर्जन किसी दूसरे महाद्वीप में बैठे मरीज का ऑपरेशन दूर से कर पाएंगे, और चालक रहित वाहन बिना किसी मानवीय त्रुटि के सड़कों पर चलेंगे।  6जी का प्रभाव सिर्फ इंटरनेट स्पीड तक सीमित नहीं रहेगा – ये दुनिया के आर्थिक ढांचे, शासन मॉडल और मानव संपर्क तक को फिर से परिभाषित करेगा।

निष्कर्ष: 

5जी ने जहां हमें तेज इंटरनेट का मजा दिया, 6जी उसी दुनिया को इंटेलिजेंट, इमर्सिव और तुरंत रिस्पॉन्सिव बना देगा।  टेलीकॉम दिग्गज अब फुल थ्रॉटल पे भविष्य के लिए काम कर रहे हैं।  ये सिर्फ एक और नेटवर्क जंप नहीं, बल्कि एक नई तकनीकी सभ्यता का आगाज है।  जो कंपनियां रेस में हैं, आज ग्राउंडवर्क कर रही हैं, वही कल के डिजिटल सम्राट बनेंगी।  आप और हम, जो अभी 5जी के हाई स्पीड से खुश हैं, कुछ सालों में 6जी के जादू से हैरान रह जाएंगे।

 

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